सोनाली त्रिवेदी -
हां, सही कहां ये पैसा उन भागे हुए अमीरो का नही बल्कि इस देश के उन तमाम गरीबो का है जो दिन रात मेहनत करके एक-एक पाई जोड़ पाता है , ये पैसा उन तमाम किसानों का है जो दिन रात कर्ज में डूब रहा है मगर बारिश की एक बूंद गिरने की उम्मीद लगाया बैठा है ,जिस पर उसका जीवन आश्रित है , जी हां ये पैसा उस तमाम समाज का है जो दिन रात पसीना बहा करके अपने परिवार का पेट भरता है व अपने परिवार के लिए एक उज्ज्वल भविष्य बनाना चाहता है ।
हम आपको याद दिलाना चाहते है कि ये बाते कुछ समय पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने डंके की चोट पर कहा था कि- वह भारत का लुटा हुआ पैसा वापस लाएंगे ।
फिर कैसे एक बार देश का पैसा विदेश इतनी आसानी से चला गया । सोचने वाली बात है कि आखिर कैसे इतना बड़ा घोटाला सरकार की आंखों से छिपा रह गया । एक सरकारी बैंक का कार्य व दस्तावेज इतने असुरक्षित कैसे हो सकते है ?
जी हां , हम यहां बात कर रहे है उन घोटालों की जो रुकने का नाम नही ले रहे । एक के बाद एक नए घोटाले जिनका सिलसिला न जाने कब थमेगा, पता नही थमेगा भी या नही......अब पीएनबी बैंक घोटाले को ही ले लीजिए जिसमें 23 हजार करोड़ रुपये भारत से विदेश ले जाया गया। जिसमें सबसे बाद नाम नीरव मोदी व मेहुल चोकसी का नाम सामने आ रहा है । इस घोटाले में लगभग 63 दिनों में 143 एलयू जारी किया गया । वही सीबीआई ने जाँच के बाद फंड ट्रांसफर सूचना प्राप्त हुई जो अंतरराष्ट्रीय बैंकों में भेजी गई थी । सीबीआई की जांच के बाद डिप्टी मैनेजर गोकुल नाथ शेट्टी , सिंगल विंडो ऑपरेटर मनोज खरात व हेमंत भट्ट को गिरफ्तार किया गया ।
जहां एक तरफ बयानों व वित्तमंत्री पीएमओ नीरव मोदी को विदेश से लाने में जुटा है; जिसके कारण उन्होंने नीरव मोदी की 25 करोड़ की संपत्ति , आयकर द्वारा 29 संपत्तियां व 105 खाते व कई छापे मारें ।
वही अब नीरव मोदी का सबसे बड़ा बयान सामने आया है । नीरव मोदी ने साफ - साफ पत्र कहा कि- इस सूचना को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है , इस बात को सार्वजनिक करके आप लोगो ने पैसे बकाया करने के सारे रास्ते बंद कर दिए है। मेरे सारे कारोबार को जब्त कर लिया गया ,जिससे बकया राशि प्राप्त हो सकती थी ।
आखिर ऐसे बयानों क्या समझा जाये? क्या ये बयान एक धमकी है कि अब भारत का पैसा वापस नही आएगा ? जहां एक तरफ इस मुद्दे को उठाकर राजनीतिक खेल खेले जा रहे है; वही जनता यह सोच के परेशान है कि अब कैसे सरकारी बैंकों पर भरोसा किया जाए ?
क्या सचमुच अब सरकारी खाते सुरक्षित नहीं रह गए ? क्या जनता के खून - पसीने की कमाई इतनी सस्ती हो चुकी है कि कभी ललित मोदी , कभी विजय माल्या , तो कभी नीरव मोदी इतनी आसानी से विदेश लेकर भाग सकते है ?
इस घोटाले में कई लोगों के नाम सामने आ रहे है मगर एक बात जो
दिल और दिमाक दोनो को हिला रही है कि बिना किसी मजबूत शख्सियत के इतना बड़ा घोटाला
असंभव है ।
आखिर कैसे होगा इस देश का भविष्य जहां सरकारी कार्यालय भी सुरक्षित नहीं रहे । जहाँ कभी सरकारी खाते खुलने की भीड़ जमा हो रही थी, देश का पैसा उसके विकास में लगाया जा रहा था ,वही अब जनता व देश के लिए एक गंभीर समस्या सामने आयी है
जाते- जाते एक आखिरी सवाल क्या फिर से भारत सोने की चिड़िया बन पाएगा ?
सोनाली त्रिवेदी
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